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Kavita Kosh से
और उनसे भागना लगता है
जैसे ज़िन्दगी से भागना,
पर जब नज़दीकियां नज़दीकियाँ दूर चली जाती हैं
तो दूरियों के पास नहीं होता
पास आने के सिवाय और कोई विकल्प ।