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राम बिन संसै गाँठि न छूटै / रैदास
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14:33, 13 अप्रैल 2011
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|रचनाकार=रैदास
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{{KKAnthologyRam
}}
<poem>राम बिन संसै गाँठि न छूटै।
कांम क्रोध मोह मद माया, इन पंचन मिलि लूटै।। टेक।।
Pratishtha
KKSahayogi,
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