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|संग्रह=फूल नहीं, रंग बोलते हैं-1 / केदारनाथ अग्रवाल
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हे मेरी तुम !
बिना तुम्हारे--
जलता तो है
दीपक मेरा
लेकिन ऎसेऐसे
जैसे आँसू
की यमुना पर
छोटा-सा
खद्योत
टिमकता,
क्षण में जलता
क्षण में बुझता ।
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