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और तीन दिल चाक हैं / अरुणा राय
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07:04, 15 अप्रैल 2011
ख़ुशबू तो
एक ही थी
दोंनों
दोनों
की
सो उसने चाहा
कि रोके इस आग को
अनिल जनविजय
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