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अठन्नी / संतोष अलेक्स
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08:28, 15 अप्रैल 2011
वैसी ही अठन्नी
जो
जैसी
अम्मा ने
दी थी
मुझेविष्णु पर चढ़ाने को
दी थी
मुझे याद आया कि
आज अठन्नी कोई नहीं लेता
भिखारी भी
कैमिस्ट भी लौटाते हैं अठन्नी की जगह
बस,
एक टॉफ़ी
नहीं
,
अब मैं इसे कहीं खर्च नहीं करूँगा
अठन्नी की असली कीमत जानता हूँ मैं
</poem>
अनिल जनविजय
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