भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=सूरदास
|संग्रह=सूर सुखसागर / सूरदास
}} {{KKCatKavita}} {{KKAnthologyKrushn}}
मैया री, मोहिं माखन भावै ।<br>
जो मेवा पकवान कहति तू, मोहिं नहीं रुचि आवै । <br>