भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विरह-गान / अनिल जनविजय

647 bytes added, 19:28, 23 जून 2007
|रचनाकार=अनिल जनविजय
}}
 
 
(कवि उदय प्रकाश के लिए)
 
 
दुख भरी तेरी कथा
 
तेरे जीवन की व्यथा
 
सुनने को तैयार हूँ
 
मैं भी बेकरार हूँ
 
 
बरसों से तुझ से मिला नहीं
 
सूखा ठूँठ खड़ा हूँ मैं
 
एक पत्ता भी खिला नहीं
 
 
तू मेरा जीवन-जल था
 
रीढ़ मेरी, मेरा संबल था
 
अब तुझ से दूर पड़ा हूँ मैं
 
 
(2004 में रचित)
Anonymous user