भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
गोकळ गांव री गूजरी स्यांणी !
वे हीरा जड़िया सिंघासण साथैमाथै,बैठै द्वारकाधीस रै माथैसाथै,
अर म्हैं जमना रै कांठै
कुंज कुंज में