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'''पद संख्या 193 तथा 194'''
(193)
अजहुँ आपने रामके करतब समुझत हित होइ।
कहँ तू, कहँ कोसलधनी, तोको कहा कहत सब कोइ।1।
(194)
 
जे अनुराग न राम सनेही सों।
तौ लह्यों लाहु कहा नर-देही सो।
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