Changes

सूरज बुझा बैंगनी, नीला
बीत गया दिन पीला-पीला
 
हल्के हाथों के तकिए पर
सिर रखकर सो गई हवाएँ ।
टूटे तारों का विज्ञापन
खोया-खोया-सा अपनापन
 
दूर अँधेरे में घोड़े की
टाप बन गईं नई दिशाएँ ।
इस टीले से उस टीले तक
एक शब्द सिन्दूर मुबारक
 
सबसे भली नींद की गोली
जब चाहें खाकर सो जाएँ ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,141
edits