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{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=रमा द्विवेदी }}
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कविता कामिनी भी है,
कविता दामिनी भी है,
कविता रूठ जाए गर,
दंशदायिनी भी है।

कविता मनोहारिणी,
कविता शक्तिदायिनी,
कविता जब काली बने,
मुण्डमाल धारिणी।

कविता अर्पण सी सरल,
कविता सलिला सी तरल,
कविता निर्झर सी झरे,
रेत सी जाए फिसल।

कविता पूजा-अर्चना,
कविता है समर्पणना,
कविता आचमन का जल,
कविता मंत्रोच्चारणना।

कविता है श्रृंगार भी,
कविता अश्रुधार भी,
व्यष्ठि से समष्ठि तक,
सृष्टि का आधार भी।
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