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रोशनी के लिए / शंभुनाथ सिंह
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17:18, 2 मई 2011
रोशनी के लिए जी रहा हूँ ।
एक
अंधे
अँधे
कुएँ में पड़ा हूँ
पाँव पर किन्तु अपने खड़ा हूँ,
कह रहा मन कि क़द से कुएँ के
अनिल जनविजय
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