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रावण ओर मंदोदरी
'''( छंद संख्या 28 27 से 29 )'''
प्रभु आइ परे सुनि सायर काँठे।28।
(29)
पालिबेको कपि-भालु-चमू जम काल करालहुको पहरी है।
लंक-से बंक महा गढ़ दुर्गम ढाहिबे-दाहिबेको कहरी है।।
 
तीतर-तोम तमीचर-सेन समीर को सूनु बड़ो बहरी है।
नाथ! भलो रधुनाथ मिलें रजनीचर-सेन हिएँ हहरी हैं।29।
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