'''(सीताजी से बिदाईं)'''
(छंद 26से 28)
(26) सीता जी की बिदाई(26)
जारि-बारि, कै बिधूम, बारिधि बुताइ लूम,
नाइ माथो पगनि, भो ठाढ़ो कर जोरि कै।
तुलसी सनीर नैन , नेहसो सिथिल बैन,
बिकल बिलोकि कपि कहत निहोरि कै।26।।
(27)
दिवस छ-सात जात जानिबे न, मातु! धरू,
धीर, अरि -अंतकी अवधि रहि थोरिकै।
(28)
साहसी समीरसुनु नीरनिधि लंघि लखि
लंक सिद्धपीठु निसि जागो है मसानु सो ।