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मोको न लेेनो , न देनो कछू , कलि! भूलि न रावरी ओर चितैहौं।।
जानि कै जोरू करौ, परिनाम तुम्हैं पछितैहौ , पै मैं न भितैहौं।। ब्राह्मन ज्यों उगिल्यो उरगारि, हौं त्यों हीं तिहारें हिएँ न हितैहौं।।
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