भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छगुख-गनेस तें महसेके पियरे लोग
बिकल बिलोकियत , नगरी बिहालकी।।
 
पुरी-सुरबेलि केलि काटत किरात कलि,
निठुर निहारिये उघारि डीठि भालकी।।
 
(170)
Mover, Reupload, Uploader
7,916
edits