भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नयी कविता
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़्देन्येक वागनेर
|संग्रह=
}}
<Poem>
हे ताजमहल।
तुम्हारे रत्नों में
क्या मोहक फ़साना
छिपा हुआ है?
बिना कुछ कहे
अकेले खड़े हो तुम
यमुना के किनारे पर।
तुम्हारी दीवारों में
शांति में सोता है
किसी का अमृत प्यार।
दिलों में मुमताज और शाहजहान को लेकर
लोग यहाँ रोज़ आया करते हैं।
दिलों में मोहब्बत महसूस करके
लोग प्यार का स्मारक देख सकते हैं।
हे ताजमहल।
जो इश्क़ की यादें
तुम्हारे अंदर ढूँढ रहे हैं
वे प्यार से मिलेंगे
ख़ूबसूरत मक़बरे में।
हे ताजमहल।
मेरा भी सवाल है।
आज मेरी मुमताज़
कहाँ खो गयी है?
शायद कल चली वह
अरुणाकाश में।
मैंने इस कविता को हिंदी में ही लिखा है। अब यहाँ उसका चेक भाषा में अनुवाद पढ़ें
'''Tádžmahal'''
Ach, Tádžmahal!
V tvých zdobných skvostech
jaký se skrývá
půvabný příběh?
Zamlkle stojíš,
samotný
na břehu řeky Jamuny.
A ve tvých zdech
v poklidu spí
nesmrtné čísi lásky dech.
S Mumtáz a Šáhdžahánem v srdcích
lidé sem denně vcházejí.
Se srdcem milostně planoucím
památník lásky vídají.
Ach, Tádžmahal!
Kdo lásek památku
vyhledá v tobě,
ten s láskou setká se
v nádherném hrobě.
Ach, Tádžmahal!
Mám taky otázku.
Kde moje Mumtáz
dneska se ztratila?
Snad včera odešla
do červánků.
{{KKRachna
|रचनाकार=ज़्देन्येक वागनेर
|संग्रह=
}}
<Poem>
हे ताजमहल।
तुम्हारे रत्नों में
क्या मोहक फ़साना
छिपा हुआ है?
बिना कुछ कहे
अकेले खड़े हो तुम
यमुना के किनारे पर।
तुम्हारी दीवारों में
शांति में सोता है
किसी का अमृत प्यार।
दिलों में मुमताज और शाहजहान को लेकर
लोग यहाँ रोज़ आया करते हैं।
दिलों में मोहब्बत महसूस करके
लोग प्यार का स्मारक देख सकते हैं।
हे ताजमहल।
जो इश्क़ की यादें
तुम्हारे अंदर ढूँढ रहे हैं
वे प्यार से मिलेंगे
ख़ूबसूरत मक़बरे में।
हे ताजमहल।
मेरा भी सवाल है।
आज मेरी मुमताज़
कहाँ खो गयी है?
शायद कल चली वह
अरुणाकाश में।
मैंने इस कविता को हिंदी में ही लिखा है। अब यहाँ उसका चेक भाषा में अनुवाद पढ़ें
'''Tádžmahal'''
Ach, Tádžmahal!
V tvých zdobných skvostech
jaký se skrývá
půvabný příběh?
Zamlkle stojíš,
samotný
na břehu řeky Jamuny.
A ve tvých zdech
v poklidu spí
nesmrtné čísi lásky dech.
S Mumtáz a Šáhdžahánem v srdcích
lidé sem denně vcházejí.
Se srdcem milostně planoucím
památník lásky vídají.
Ach, Tádžmahal!
Kdo lásek památku
vyhledá v tobě,
ten s láskou setká se
v nádherném hrobě.
Ach, Tádžmahal!
Mám taky otázku.
Kde moje Mumtáz
dneska se ztratila?
Snad včera odešla
do červánků.