भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=रित्सुको कवाबाता }} [[Category:जापानी भाषा]] <poem> बिगुल…
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=रित्सुको कवाबाता
}}
[[Category:जापानी भाषा]]
<poem>
बिगुल बजाते फूल
एक गमले में
जैसे हो प्रहरी
मेरे द्वार के !
चार बिगुल बजाते फूल
उभरते पत्र्चक्रों से
बड़े , श्वेत
लटक रहे हैं नीचे !
"सुप्रभात "
जैसे बहता है पानी धीरे धीरे
मेरे फब्बारे से !
बिगुल बजाते फूल भर जाते हैं नई स्फूर्ति से
यही ऊर्जा समां जाती है मुझ में
वे लगाते हैं मेला शहनाइयों का
हाँ यह शुरुआत है एक नए दिन की !

'''अनुवादक: [[मंजुला सक्सेना]]'''
</poem>