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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रावत सारस्वत |संग्रह=}}{{KKCatRajasthaniRachna}}{{KKCatKavita}}<poem>कुण समझाग्यो मनैं ओ मरम
कै राजनीत रा अजगरां सूं लेय’र
दफ्तरां रा कमटाळू घूसखाऊ बाबुआं तकात