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दाना चुगते मुरगे. / उमेश चौहान
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05:16, 20 मई 2011
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<poem>
'''दाना चुगते मुरगे'''
कुछ मुरगे दाना चुगने निकले
सामने बिखरे दाने
बाँट
लिये
लिए
उन्होंने अपनी-अपनी सुविधानुसार
और चुगने लगे जी भरकर
जैसे उन्हें सर्वाधिकार मिल गया था
अनिल जनविजय
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