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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
}}
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तुम्हारा रंग है इस तरह मेरी आंखों में
कि पूरी जिंदगी मेरी सफ़ेद लगती है
होली मनाना मुझको पसंद नहीं है
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तुम्हारा रंग है इस तरह मेरी आंखों में
कि पूरी जिंदगी मेरी सफ़ेद लगती है
होली मनाना मुझको पसंद नहीं है
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