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|रचनाकार=त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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तुम्हारी गीली-गीली स्याह-सी आँखों में
सफ़ेद नूर का सूखा हुआ छोटा-सा टुकड़ा

जैसे ‘नून’ के दामन में हल्का-सा नुक़्ता
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