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Kavita Kosh से
मै उसी तरह तो बहलता हूँ
और सब जिस तरह बहलतें हैं
वो है जान अब हर एक महफ़िल की
हम भी अब घर से कम निअक्लते निकलते हैं
क्या तकल्लुफ्फ़ करें ये कहने मेंजो भी खुश है हम उससे जलते हैं
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