भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
''टिप्पणी: जवाब ए शिकवा १९१२ में लिशी लिखी गई थी जो १९०९ में अल्लामा अक़बाल अलामा इक़बाल द्वारा लिखी पुस्तक [[शिकवा/इक़बाल | शिकवा ]] का जवाब है । 'शिकवा ' में उन्होंने अल्लाह से मुसलमानों की स्थिति के बारे में शिकायत की थी और इसकी वजह के कई सवाल पूछे थे । 'जवाब-ए-शिकवा ' में उन्होंने इन सवालों के जवाब देने की कोशिश की है । ''
<poem>
आ गई आग की चुटकी को भी परवाज है क्या ?
इस क़दर शोख के अल्लाहसे भी बरहम है ।था जो मस्जूद मलाएक ये वही आदम है आलिम ए गैर है सामां ए रूजे कम है।हाँ मगरअजीज़ के असरार से मरहम है ।
एश्क ए बेताब से लबरेज़ है पैमाना तेरा