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{{KKRachna
|रचनाकार= विनोद स्वामी
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>आज तो
पून नै ई रीस-सी आई है
अर बांवड़ो झाल
रेत नै मचकाई है।
पैली निरखै
अर पछै मिटावै
आपणा मिलण सैनाण।
</poem>
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|रचनाकार= विनोद स्वामी
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}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>आज तो
पून नै ई रीस-सी आई है
अर बांवड़ो झाल
रेत नै मचकाई है।
पैली निरखै
अर पछै मिटावै
आपणा मिलण सैनाण।
</poem>