भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
४-कुकरमुत्ते की तरह गली-गली कवि उगने लगे हैं,
इन्सटेंट कविता लिख ओशो आशु कवि बनने लगे हैं,
कालिदास ने तो गिनती के ही ग्रन्थ रचे जीवन भर में
ये तो वर्ष के तीन सौ पैंसट दिन कविता लिखते हैं।