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नया पृष्ठ: <poem> ओ नये नाथ सुण मेरी बातिया, चन्द्र्किरण जोगी तनै तन-मन-धन तै चाव…
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ओ नये नाथ सुण मेरी बातिया, चन्द्र्किरण जोगी तनै तन-मन-धन तै चाव्है सै!
नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै !!

(मेरे कैसी नारी चहिये तेरे कैसे नर नै,
बात सुण ध्यान मैं धर कै ) - २

दया करकै नाचिये मोर, मोरणी दो आंसू चाव्है सै !
नीचे नै कंमन्द लटकार्ही चढ्ज्या क्यूँ वार लगावै सै !!

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