भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोड़ो जावण दो / नीरज दइया

1,045 bytes added, 22:24, 18 जून 2011
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी भाषा]] {{KKCatKa…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नीरज दइया
|संग्रह=
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता।

थांरी आंख जाणै
फगत सात रंग
पैली तो सुभट सुणो
कविता रै पड़दै में रैवै-
उण रा रंग
अर सात नीं
थे ओळखो सताईस रंग
फेर ई गच्चो खावोला
जद-जद बांचोला कविता।

छोड़ो जावण दो
थांनै दाय नीं आवैला-
कविता
क्यूं कै
थे थांरै रंगां री सींव
लेय नै जोवोला रंग
अर हरेक नुंवीं कविता
थांनै दीसैला सदीव-
रंग-बायरी!</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
5,484
edits