भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
प्यार छाहों भरी राह है
जलाते जलते हैं आंसुओं आँसुओं के दिए
उम्र अब आह ही आह है
राह भी है जहाँ चाह है
किसने अपने अपनी लटें खोल दीं
चांदनी पड़ गयी स्याह है!
2,913
edits