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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह |संग्रह=कल सुबह होने के पहले / श…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
गहराईयों में डूबते महासागर !
हाँफती बदलियाँ !
आकाश के माथे की शिकन !
गये हुए वसन्त की वापसी के नाम !
मेले में भटके हुए शिशु से
दिवस-मास-वर्ष
न बोलने की सौगन्ध खाकर बैठ माटी ।
बाँसुरी के आकुल रंध्र ।
सिवानों की साँझ ।
नये गीत और नई ज़िन्दगी के नाम !
सुबह की कच्ची धूप ।
दूब के होठों पर कुनमुनाती शबनम ।
नम-रेतीली घाटियाँ ।
अस्थिर-अनिश्चित दिशायें
शास्वत गतिशील पाँवों के नाम !
(१९६३)
</poem>
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|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=कल सुबह होने के पहले / शलभ श्रीराम सिंह
}}
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गहराईयों में डूबते महासागर !
हाँफती बदलियाँ !
आकाश के माथे की शिकन !
गये हुए वसन्त की वापसी के नाम !
मेले में भटके हुए शिशु से
दिवस-मास-वर्ष
न बोलने की सौगन्ध खाकर बैठ माटी ।
बाँसुरी के आकुल रंध्र ।
सिवानों की साँझ ।
नये गीत और नई ज़िन्दगी के नाम !
सुबह की कच्ची धूप ।
दूब के होठों पर कुनमुनाती शबनम ।
नम-रेतीली घाटियाँ ।
अस्थिर-अनिश्चित दिशायें
शास्वत गतिशील पाँवों के नाम !
(१९६३)
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