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Kavita Kosh से
|रचनाकार=द्विज
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[[आज सुख सोवत सलौनी सजी सेज पैं/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[गुंजरन लागीं भौंर-भीरैं केलि-कुंजन मैं/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[मेल्यौ उर आँनद अपार मैन सोवत हीं/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[सुर ही के भार सूधे-सबद सु कीरन के/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[हौरैं-हौंरैं डोलतीं सुगंध-सनीं डारन तैं/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[संभ्रम अति उर मैं बढ़्यौ/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[सौंधे समीरन कौ सरदार/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[सुनत सलौनी बात यह/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[लटपटी पाग सिर साजत उनींदे अंग/ शृंगार-लतिका / द्विज]][[सीतल-समीर मंद हरत मरंद-बुंद/ शृंगार-लतिका / द्विज]]