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<poem>
'''दोहा'''
''(वसंतागम सुन दर्शनार्थ उत्सुक होने का वर्णन)''

सुनत सलौनी बात यह, तन-मन सबै भुलाइ ।
ऋतु-पति के दरसन हितै, बाढ़्यौ उर मैं चाइ ॥८॥
</poem>
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