भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्विज }} {{KKPageNavigation |पीछे=लटपटी पाग सिर साजत उनींदे अ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=द्विज
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=लटपटी पाग सिर साजत उनींदे अंग / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 1
}}
<poem>
रूप घनाक्षरी
(शांतिमय वन-वर्णन)

सीतल-समीर मंद हरत मरंद-बुंद, परिमल लीन्हैं अलि-कुल छबि छहरत ।
कामबन, नंदन की उपमा न देत बनैं, देखि कैं बिभव जाकौ सुर-तरु हहरत ॥
त्यागि भय-भाव चहूँ घूँमत अनंद भरे, बिपिन-बिहारिन पैं सुख-साज लहरत ।
कोकिल, चकोर, मोर करत चहूँघाँ सोर, केसरी-किसोर बन चारौं ओर बिहरत ॥१०॥
</poem>
916
edits