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ये हसीं हसीन बेकली क्यों सीने में भर गयी है!
मेरे दिल के पास आकर वो नज़र ठहर गयी है!
वे लटें थीं रात किसकी मेरे बाजुओं पे बिखरीं
मेरे हर ख्याल ख़याल में एक खुशबूख़ुशबू-सी भर गयी है
मुझे हंस हँस के अब बिदा दो, मेरी ज़िन्दगी का गम ग़म क्या!
ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है
नहीं अब, गुलाब! तुझमें पहले-सी शोखियाँ शोख़ियाँ हों तेरी तड़पनों से कुछ तो दुनिया संवर सँवर गयी है
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