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Kavita Kosh से
यों न मिलने में शरमाइये
दो घड़ी रुक भी तो जाइएजाइये
प्यार मुँह से न कहते बने
शर्त है प्यार की एक ही
सामने उनके चुप हैं गुलाब
कुछ भी कहिये तो शरमाइये
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