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|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
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उनसे मिलने का बहाना चाहिए
बाग़ भर में उड़ रही खुशबू ख़ुशबू तो क्या!
फूल को हाथों में आना चाहिए
ठाठ पत्तों का हुआ झीना, गुलाब!
अब कहीं सर को छिपाना चाहिए
 
 
 
 
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