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Kavita Kosh से
लेते न मुँह जो फेर हमारी तरफ से आप
कुछ खूबियाँ ख़ूबियाँ भी देखते खानाखराब ख़ानाख़राब में
कुछ बात है कि आपको आया है आज प्यार
देखा नहीं था ज्वार यों मोती के आब में
रंगत नयी तरह की जो भर दी गुलाब में
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