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Kavita Kosh से
मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं
गले से आ के आके लगा लो, बहुत उदास हूँ मैं
अँधेरा लूटने आया है रोशनी का सुहाग
फिर अपने पास बुला लो, बहुत उदास हूँ मैं
गिरे थे तुम भी तो ऐसे ही चोट खा के खाके कभी
हँसो न देखनेवालो! बहुत उदास हूँ मैं