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Kavita Kosh से
बुला लिया है उसे घर पे हमने आज, मगर
मना रहे हैं , नहीं आये, और कुछ मत हो
गुलाब देख तो लेंगे उन्हें आते-जाते
नज़र भले ही न मिल पाये, और कुछ मत हो
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