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Kavita Kosh से
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
न यों मुंह मुँह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक!
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग्मा नग़्मा निकलता है
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती