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किसने अपनी लटें खोल दीं
चांदनी चाँदनी पड़ गयी स्याह है!
छेद यों बाँसुरी में कई
अब न गाने का उत्साह है
हमने होठों के चूमें चूमे गुलाब
किसको काँटों की परवाह है!
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