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रोते ही रोते इन आँखों ने रात से जगकर भोर किया है
नींद जो आयी, चैन ही आया, कुछ तो हुई हुईं आराम की बातें
मरना देखके डर जाना क्या! जीने के नाम से घबराना क्या!
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