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Kavita Kosh से
आज की रात तो आँखों में गुज़र जाने दो
और भी हैं कई मज़बूरियाँमजबूरियाँ, सँभल ऐ दिल!
क्या हुआ मिल गयीं नज़रें भी जो अनजाने दो!