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Kavita Kosh से
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कुछ तो लेकिन उनसे मिलने का बहाना चाहिए
रंग लाया है तेरा ग़ज़लों में बँध जाना, गुलाब!
कह रहे हैं वे, इसे होंठों होँठों पे लाना चाहिए
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