भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
1,352 bytes removed,
20:47, 8 जुलाई 2011
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=हर सुबह एक ताज़ा गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
कभी होठों पे दिल की बेबसी लाई नहीं जाती
कुछ ऐसी बात है जो कहके बतलायी नहीं जाती
न यों मुँह फेरकर सो जा, मेरी तक़दीर के मालिक!
कहानी ज़िन्दगी की फिर से दुहरायी नहीं जाती
वे सुर कुछ और ही हैं जिनसे यह नग़्मा निकलता है
ये वो धुन है जो हर एक साज़ पर गायी नहीं जाती
हमारा दिल तो कहता है, उन्हें भी प्यार है हमसे
तड़प उसकी भले ही हमको दिखलायी नहीं जाती
नहीं जाती, गुलाब! उन शोख़ आँखों की महक दिल से
हमारे आइने से अब वो परछाईं नहीं जाती
<poem>