भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
लीजिये, आपकी चरचा ही छोड़ दी हमने
क्या हुआ फूल जो होठों होँठों से चुन लिए दो-चार
और ख़ुशबू तेरी ताज़ा ही छोड़ दी हमने
2,913
edits