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Kavita Kosh से
हम हैं मुहरे तेरी बाज़ी के, हमारा क्या है!
जब कहा उनसे, 'खिले आज तो होठों होँठों पे गुलाब'
हँस के बोले कि हैं माली के, हमारा क्या है!
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