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Kavita Kosh से
कुछ आपकी ख़ामोश निगाहों का असर है
फूलों से हार गूँथ के गूँथके लाना है और बात
काँटों से ज़िन्दगी को सजाने में हुनर है
कुछ बुलबुलों ने लूट लिया, कुछ बहार ने
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