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हम न रहे तो कौन भला ये शोख़ अदायें देखेगा!
बाग़ की सब रंगत है हमीं से हमींसे फूल भले ही हज़ार हुए
एक हमीं को हमींको क्यों दुनिया ने दीवाने का नाम दिया
जब कि हमारी हर धड़कन में आप भी हिस्सेदार हुए!
अपनी पँखुरियों को छितराकर, आज गुलाब ये कहता था,
'ख़ूब जिन्हें खिलना हो खिले खिलें अब, हम तो हवा पे सवार हुए'
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