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Kavita Kosh से
ये बता कि कह रहा क्या तेरे ख़त का हाशिया है
वो नज़र से जानेवाला, मेरे दिल में आके बोला,'सभी कुछ वही है , हमने, ज़रा घर बदल लिया है'
तेरे नाम की है ख़ूबी कि गुलाब! हर सुबह को
किसी बेरहम ने दिल में, तुझे याद तो किया है
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